Monday, 17 December 2007

Khayal...(2)

क्या समझाऐ इन आसुओ को
ये दिल नही मानता ...
कितना बेहेलाऐ इस मन को...
इसे कुछ भी नही है भाता...
समजता नही है ये दिल...
इसे समझाता नही ये मन ...
की कितनी दूर है वो मंजिल ...
और कितने दूर खड़े है हम

No comments: