काश कह सकते हम उनको
पर कैसे कहे समजता नही
साथ होते तो है वह हमारे
पर कैसे कहे समजता नही
हम उनकी दोसती नही खोना चाहते
पर दील का हाल भी तो है सुनाना चाहते
एक सवाल है हमेशा सामने यही
पर कैसे कहे उंहे, हमे समजता नही
हम कह देते उंहे हमारे दील की बात
और फीर कैसे कहे हम उनसे
हमे समजता नही
काश वो आखों की बात समाज सकते
तो हमे उंहे समझाना पङता नही
पर क्या करे नही समजते वह आखों की बात
और अब कैसे कहे हम उंहे
हमे समजता नही ....
पर कैसे कहे समजता नही
साथ होते तो है वह हमारे
पर कैसे कहे समजता नही
हम उनकी दोसती नही खोना चाहते
पर दील का हाल भी तो है सुनाना चाहते
एक सवाल है हमेशा सामने यही
पर कैसे कहे उंहे, हमे समजता नही
हम कह देते उंहे हमारे दील की बात
और फीर कैसे कहे हम उनसे
हमे समजता नही
काश वो आखों की बात समाज सकते
तो हमे उंहे समझाना पङता नही
पर क्या करे नही समजते वह आखों की बात
और अब कैसे कहे हम उंहे
हमे समजता नही ....